जाने Inverter क्या होता हैं? ये कितने प्रकार का होता हैं? इन्वर्टर काम कैसे करता हैं (Working of Inverter) तथा इसकी आवश्यकता क्यो हैं |
अनुक्रम
इन्वर्टर
दोस्तों इन्वर्टर का नाम सुनते ही आपको अपने घर पर बैटरी के साथ लगे हुए एक काले, नीले या फिर किसी और रंग के एक उपकरण की याद आ जाती होगी | और यह स्व्भविक भी हैं क्योकि बचपन से ही हमे यही बताया जाता हैं | लेकिन आपको जानकर ये हैरानी होगी की इन्वर्टर वास्तव में उसके अंदर लगा हुआ एक इलेक्ट्रॉनिक परिपथ (सर्किट) होता हैं | इस इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के आधार पे ही बैटरी के साथ लगे उपकरण का नाम इन्वर्टर हो गया | दोस्तों आज में आपको बताऊंगा की इन्वर्टर का क्या मतलब होता हैं, इसमें कौन-कौन से अनुभाग (सेक्शन) होते हैं, ये कितने प्रकार के होते हैं तथा इन्वर्टर जी है आपके हमारे घर में लगा हुआ इन्वर्टर काम कैसे करता हैं|
इन्वर्टर क्या होता है?
इन्वर्टर एक ऐसी युक्ति होती हैं जो दीर्ष्ट धरा (Direct current) को प्रत्यावर्ती धरा (Alternative current) में परिवर्तित कर देती हैं | इसका उदाहरण हमारे घर में ही हैं, जो हमारी बैटरी होती हैं उसमे ऊर्जा DC के रूप में संचित रहती हैं और हमे जो ऊर्जा मिलती हैं, जिससे घर के कुछ जरूरी उपकरण चलते हैं, वो AC होती हैं | अतः इन्वर्टर की इनपुट DC होती हैं, तथा आउटपुट AC होती हैं | सामान्यतः इन्वर्टर की इनपुट एक निम्न DC सप्लाई (Low DC supply) होती हैं जो 12V या 24V हो सकती हैं, और यह 240V और 120V की AC सप्लाई देता हैं | इन्वर्टर आउटपुट में 120V देगा या 240V देगा यह अलग-अलग देशो की ग्रिड वोल्टेज के हिसाब से निश्चित होता हैं | इन्वेटर को उच्य शक्ति (high voltage) के इलेक्ट्रॉनिक ऑसिलेटर की तरह समझा जा सकता हैं |
सबसे पहले यांत्रिक (Mechanical) इन्वर्टर प्रचलन में आये | इन इन्वेर्टरो में स्विच के द्वारा DC को AC में बदला जाता था | इसके बाद वैक्यूम ट्यूब पर आधारित इन्वर्टर बनाये गए | सेमीकंडक्टर के चलन के बाद इन्वर्टर सर्किट को सेमीकंडक्टर्स से बनाया जाने लगा, इससे इन्वर्टर का आकर छोटा हो गया और इसे घरेलु उपकरण के रूप में भी प्रयोग किया जाने लगा |
इन्वर्टर के प्रकार (type of inverter)
इन्वेर्टरो को उनकी विशेष्ताओँ को आधा पर अलग-अलग प्रकारो में बात जा सकता हैं जो निम्न में
१) कला (Phase) के आधार पर
A ) एकल कला (single Phase) इन्वर्टर
B ) त्रि-कला (3-Phase) इन्वर्टर
२) आउटपुट की वेव शेप के आधार पर
A ) स्कवायर वेवे इन्वर्टर
B ) साइन वेवे इन्वर्टर
३) कार्य के आधार पर
A ) सामान्य इन्वर्टर (home inverter)
B ) पावर इन्वर्टर
C) सोलर इन्वर्टर
इन्वर्टर कैसे काम करता है?
इन्वर्टर की वर्किंग को समझने से पहले हमको ये समझना होगा की इन्वर्टर किन भागो से मिलकर बना होता हैं |
इन्वर्टर के अनुभाग (Section of an Inverter)
NOTE- इस लेख के आरंभ में हमने आपको बताया था की जो हम इन्वर्टर घरो में प्रयोग करते हैं उसके अंदर एक ऐसा सेक्शन होता हैं जो DC को AC में परिवर्तित करता हैं उससे इन्वर्टर सर्किट कहते हैं जिसकी इनपुट DC होती हैं तथा आउटपुट AC | तो आप लोग इन्वर्टर और इन्वर्टर सर्किट में भ्रमित नहीं होइएगा | तो चलिए अब हम इन्वर्टर के सेक्शन को जानते हैं |
१) AC इनपुट सेक्शन
यह सेक्शन इन्वर्टर का प्रारम्भिक भाग होता हैं | इस सेक्शन का एक सिरा आपके घर के AC कनेक्शन से जुड़ा हुआ होता हैं तथा दूसरा सिरा चार्जर/रेक्टिफायर सेक्शन से जुड़ा हुआ होता हैं|
२) चार्जर/ रेक्टिफायर सेक्शन
AC इनपुट सेक्शन से प्राप्त होने वाली AC रेक्टिफायर सेक्टशन में जाती हैं | यह सेक्शन AC को DC में परिवर्तित कर देता हे अब चार्जर सेक्शन इस DC को फ़िल्टर करके बैटरी को चार्ज करता हैं |
३) बैटरी सेक्शन
बैटरी का एक सेक्शन चार्जर से तथा दूसरा सेक्शन इन्वर्टर सर्किट से जुड़ा हुआ हैं | बैटरी DC को संचित करती हैं |
४) इन्वर्टर सर्किट/ सेक्शन
इन्वर्टर सेक्शन एक सिरे से बैटरी से जुड़ा हुआ रहता हैं तथा दूसरी तरफ से स्विचिंग सर्किट के द्वारा आउटपुट सेक्शन से जुड़ा हुआ रहता हैं | यह बैटरी से मिलने वाली DC को AC में बदल देता हैं |
५) आउटपुट सेक्शन
यह अन्तिंम सेक्शन हैं | यहां से AC सप्लाई आपके घर के उन उपकरणों तक जाती हैं जिनको आप इन्वर्टर की सहायता से चलना चाहते हो |
(इन्वर्टर का प्रचालन) Working of inverter
इन्वर्टर दो मोड्स में काम करता हैं
१) जब घर पर बिजली आ रही हो (Mains on condition)
जब हमारे घरो में Distribution ट्रांसफॉमर से बिजली आ रही होती हैं तो यह AC इनपुट सेक्शन से होते हुए सीधे ट्रांसफर स्विच में जाती हैं जो आउटपुट सेक्शन से जुड़ा होता हैं, तथा यही AC चार्जर सेक्शन में भी जाती हैं जहा से बैटरी चार्ज हो जाती हैं | तो Mains on condition में हमारे घर के उपकरण सीधे AC इनपुट के द्वारा चलते हैं जो distribution ट्रांसफार्मर से आ रही होती हैं, और साथ में बैटरी भी चार्ज होती हैं |
२) जब बिजली न हो (Mains fail condition)
अब जब बिजली चली जाती हैं तब AC इनपुट सेक्शन का कोई काम नहीं रहता अब हमारे पास बैटरी में DC संचित हैं | अब बैटरी से DC इन्वर्टर सर्किट में जाती हैं | इन्वर्टर सर्किट इस DC को AC में कन्वर्ट कर देता हैं , और यह AC सप्लाई ट्रांसफर स्विच से होते हुए आउटपुट पर चले जाता हैं | इस कंडीशन में वो उपकरण जिनको हम बिजली चले जाने पर बैटरी के द्वारा संचित DC जो इन्वर्टर सेक्शन द्वारा AC में कन्वर्ट की गयी होती हैं, से चलाना चाहते हैं, वो इन्वर्टर के द्वारा चलते हैं |
इन्वर्टर की जरूरत क्यों हैं ?
इनर्टर की वर्किंग को समझने के बाद आप लोगो को ये तो समज आ ही गया होगा की की इन्वर्टर की जरूरत क्यों हैं, फिर भी में अपनी तरफ से बता देता हु| इन्वर्टर की जरूरत बिजली चले जाने पर बैकअप सप्लाई ले लिए होती हैं जिससे आपके जरूरी काम में कोई अवरोध न आये |इन्वर्टर का प्रयोग हम electric vehicle तथा Hybrid vehicle मे भी करते हे।
conclusion
दोस्तों में आशा करता हु की इस लेख को पड़ने के बाद आपको इन्वर्टर के बारे में बहुत कुछ जानकारी प्राप्त हुई होगी अगर आपको इस लेख के बारे मेर कुछ कहना हो या कुछ अपना नजरिया पेश करना हो तो आप comment कर सकते| इसके आलावा यदि आप कुछ जानना चाहते हैं जो आपको हिंदी में नहीं मिल रहा हैं तो वो भी आप हमसे पूछ सकते हैं | बस आपको comment करना हैं | और अगर आपको ये मदतगार लगा हैं तो इससे शेयर भी करे|
You actually make it seem so easy with
your presentation but I find this matter to be actually something that I think
I would never understand. It seems too complex and extremely broad
for me.
I’m looking forward for your next post, I will try to get the hang of it!