Lithium Ion और Tubular Battery मे क्या अंतर होता है?

दोस्तों आपने बैटरीयो का इस्तेमाल कई जगह होते हुए देखा होगा, खुद आप भी करते होंगे – जैसे फोन में है, लैपटॉप, टैबलेट, इनवर्टर, घड़ी, इलेक्ट्रिक व्हीकल आदि में। लेकिन क्या आपको पता है की इन सभी जगह पर ज्यादातर किस तरह की बैटरी का इस्तेमाल होता है। आपको कौन सी बैटरी का इस्तेमाल करना चाहिए। कौन सी बैटरी कम कीमत में, अधिक सुरक्षा प्रदान करने वाली, और टिकाऊ होती है।

दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हम दो अलग-अलग तरह के बैटरियों के बारे में जानेंगे, जो कि आज के समय में बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध और इस्तेमाल होने वाली बैटरी है। हम जानेंगे की लिथियम आयन बैटरी और ट्यूबलर बैटरी क्या होती है, इन दोनों बैटरियों की बनावट (Structure) किस तरह होती  की है?  साथ ही Lithium-Ion और Tubular Battery मे अंतर क्या होता है इसके बारे में भी चर्चा करेंगे।

तो चलिए हम इस ब्लॉग में इन दोनों बैटरीयो के बारे में बिना देर किए जानना शुरू करते हैं। इन दोनों बैटरियों के अंतर के बारे में, साथ ही इनका इस्तेमाल करने के क्या फायदे होते हैं उनके बारे में भी जानेंगे।

Lithium ion और Tubluar Battery में अंतर
Lithium ion और Tubluar Battery में अंतर

Lithium ion battery क्या होती है?

लिथियम आयन बैटरी – यह एक तरह की रिचार्जेबल बैटरी होती हैं। जो काफी हल्की लेकिन ऊर्जावान होती हैं। लिथियम आयन बैटरी के कई प्रकार होते हैं। और उनमें से सबसे प्रचलित है लिथियम आयन बैटरी (Lithium Ion Battery). जिसका इस्तेमाल हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कई सारे उपकरणों में करते आ रहे हैं जैसे कि स्मार्टफोन, लैपटॉप, पावर बैंक, डिजिटल कैमरा, इलेक्ट्रिक वाहन, टैबलेट, इंजन स्टार्टर, सोलर प्रणालियों, पोर्टेबल उपकरणों, सोलर ऊर्जा प्रणालियों, उच्च व्यावसायिक उपयोगों आदि में।

लिथियम आयन बैटरी का जीवन चक्र काफी लंबा होता है। और यह काफी टिकाऊ होती हैं यानी की आपको बार-बार इसे चार्ज नहीं करना पड़ता। यह एक बार चार्ज करने पर काफी लंबे समय तक आपका साथ देती हैं।

Tubular Battery क्या होती है?

Tubular battery – ट्यूबलर बैटरी एक प्राचीन तकनीक है। ट्यूबलर बैटरी अधिक धारा (Current) देने की क्षमता रखती है जिससे यह उपकरणों को लंबे समय तक चलाने के लिए उपयुक्त होती है। यह वजन में काफी भारी होती है, इस प्रकार की बैटरी को रखरखाव की जरूरत होती है। उचित रखरखाव न होने पर इनका जीवन काल कम हो जाता है, इस कारण ट्यूबलर बैटरी का इस्तेमाल पोर्टेबल उपकरणों और वाहनों में इस्तेमाल नहीं किया जाता। कीमत की बात करें तो यह लिथियम आयन बैट्री की तुलना में सस्ती होती हैं।

बैटरी की संरचना

देखा जाए तो लगभग दोनों ही बैटरियों की संरचना एक जैसी होती है अंतर सिर्फ इतना है कि लिथियम आयन बैटरी के कैथोड में लिथियम आइनो का उपयोग होता है और एनोड में भी लिथियम तत्वों का उपयोग होता है।

लेकिन वहीं दूसरी तरफ ट्यूबलर बैटरी कि संरचना में देखें, तो कैथोड में आमतौर पर लिथियम या लेड के योग का उपयोग होता है और एनोड को आमतौर पर सल्फेट्स या कैल्शियम के संयोजन से तैयार किया जाता है।

लिथियम आयन बैटरी की संरचना

काथोड (Cathode) – यह बैटरी का एक बड़ा हिस्सा होता है जो बैटरी की पॉजिटिव साइड होती है। यहां लिथियम के आयनों का उपयोग किया जाता है।

एनोड (Anode) – यह बैटरी की नेगेटिव साइड होती है और यहां भी लिथियम का उपयोग होता है।

इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte) – यह दोनों साइड्स के बीच होता है और यहां लिथियम आयन चले जाते हैं, जो बैटरी को चालू करता है।

सेपरेटर (Separator) – सेपरेटर दो सेल्स के बीच इलेक्ट्रोलाइट को अलग रखने के लिए उपयोग किया जाता है। यह सेल्स के बीच बाधा पैदा करता है और उन्हें नकारात्मक इफेक्ट से बचाता है।

ट्यूबलर बैटरी की संरचना

काथोड (Cathode) – काथोड, बैटरी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है जो बैटरी की पॉजिटिव साइड होती है। यहां आमतौर पर लिथियम या लेड के यौगिकों का उपयोग किया जाता है।

एनोड (Anode) – एनोड, बैटरी की नेगेटिव साइड होती है और यहां आमतौर पर सल्फेट्स या कैल्शियम के संयोजन से तैयार किया जाता है।

इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte) – इलेक्ट्रोलाइट बैटरी के दोनों साइड्स के बीच स्थित होता है और यहां आमतौर पर सल्फाट का उपयोग किया जाता है।

सेपरेटर (Separator) – सेपरेटर दो सेल्स के बीच इलेक्ट्रोलाइट को अलग रखने के लिए उपयोग किया जाता है। यह बैटरी को सुरक्षित बनाए रखता है और उसकी कार्यक्षमता को बढ़ाता है।

Lithium-Ion और Tubular Battery मे अंतर

दोस्तों अब हम इन दोनों ही प्रकार की बैटरियों  के बीच अलग अलग पैरामीटर को ध्यान में रख कर अंतर स्पष्ट करने का प्रयाश करेंगे।


Lithium Ion Battery के फायदे, उपयोग तथा कीमत|


1 – चार्जिंगसमय

Lithium Ion Battery काफी तेजी से चार्ज होती हैं। इसको चार्ज करने के लिए यूजर को बहुत ज्यादा समय का इंतजार नहीं करना पड़ता। मुश्किल से दो-तीन घंटे में लिथियम आयन बैटरी पूरी तरीके से चार्ज हो जाती है।

ट्यूबलर बैटरी चार्ज होने में काफी ज्यादा समय लेता है। ट्यूबलर बैटरी का चार्जिंग Speed काफी कम होता है।

2 – जीवनकाल

लिथियम आयन बैट्री का जीवनकाल काफी लंबे समय का होता है।

Tubular battery का जीवन काल उसकी रखरखाव पर निर्भर करता है, अगर इस बैटरी का सही प्रकार से रखरखाव किया जाये तो यह काफी लम्बी अवधि तक चल सकती है।

3 – धारणक्षमता

लिथियम आयन बैटरी की धारण क्षमता अधिक होती है। साइज में छोटा होता है। इस कारण जो छोटे उपकरण जैसे की मोबाइल, घड़ी, लैपटॉप आदि में इस्तेमाल होते हैं।

ट्यूबलर बैटरी की धारण क्षमता कम होती है लेकिन ट्यूबलर बैटरी की खास बात यह है कि यह अधिक ऊर्जा उत्पन्न करती है। तो जिस भी उपकरण में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है वहां पर ट्यूबलर बैटरी का इस्तेमाल होता है जैसे कि इनवर्टर, सोलर पैनल आदि।

4 – कीमत

Lithium Ion Battery और ट्यूबलर बैटरी की तुलना करते हैं तो हम पाते हैं की लिथियम आयन बैट्री एक तरीके से बेहतर है। क्योंकि इसमें ज्यादा ऊर्जा का घनत्व होता है, जीवन काल भी लंबा होता है, वजन भी हल्का होता है इस कारण लिथियम आयन बैटरी की कीमतज्यादा होती है।

ट्यूबलर बैटरी की कीमत कम होती है।

5 – वजन और आकार

वजन यानी भार के दृष्टिकोण से देखते हैं तो लिथियम आयन बैटरी हल्की और आकार में छोटी होती है।

वही ट्यूबलर बैटरी भारी और आकार में बड़ी होती है।

6 – पर्यावरणीय प्रभाव

लिथियम आयन बैटरी में इस्तेमाल होने वाले लिथियम और अन्य धातुओं का इस्तेमाल होता है। जिसे सामान्यतः पर्यावरण के लिए काम हानिकारक मन जाता है।

ट्यूबलर बैटरी बनाते समय लीड और अम्ल का ज्यादा उपयोग होता है, जो प्रदूषण का कारण बन सकता है। इसलिए, इन धातुओं के साथ सावधानी से काम करना चाहिए।

7 – सुरक्षा

आमतौर पर लिथियम आयन बैटरी अधिक सुरक्षित होती हैं इस बैटरी में एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जिसे BMS (Battery Management System) कहा जाता है , का प्रयोग किया जाता है जो Lithium Ion बैटरी को अधिक चार्ज और डिस्चार्ज होने से रोकता है। जब तक BMS ठीक तरीके से काम करता रहता है तब तक battery सुरक्षित तरीके से काम करती है, और यह अधिक अस्तित्व में बनी तकनीक का उपयोग करती हैं जिस कारण लिथियम आयन बैट्री का ऑक्सीजन के साथ रिएक्शन करने की संभावना बहुत ज्यादा कम होती है।

सुरक्षा की दृष्टि से यह कम सुरक्षित हैं। क्योंकि इसमें कई सारे तत्वों और आवश्यक धातुओं का इस्तेमाल होता है। जो प्रदूषण का भी कारण बनते हैं। साथी आपको ट्यूबलर बैटरी को इस्तेमाल करने के लिए कुछ सावधानियां भी बरतनी पड़ती है।

8 – चार्जिंग की विधि

इस बैटरी को चार्ज करने के लिए इसके विशेषताओं को ध्यान में रखकर एक विशेष प्रकार के चार्जर की जरूरत पड़ती है। यह काफी तेज गति से चार्ज होते हैं। जिससे यूजर को बार-बार बैटरी को चार्ज नहीं करना पड़ता।

ट्यूबलर बैटरी को सामान्य बिजली से चलने वाले चार्जर के साथ चार्ज किया जा सकता है। इसके लिए विशेष चार्जर की आवश्यकता नहीं होती है।

9 – रखरखाव और रिपेयर

लिथियम आयन बैटरी आकार में छोटी होती है इसलिए इसके रखरखाव में बहुत ज्यादा परेशानी नहीं होती। और इसे नियमित रूप से चार्ज की जरूरत नहीं होती है। लिथियम आयन बैटरी के रिपेयर का अनुभव अधिक आसान होता है। यहां ज्यादातर समस्याओं का समाधान सॉफ़्टवेयर के माध्यम से किया जाता है।

ट्यूबलर बैटरी आकार में बड़ी होती है। इस बैटरी का रखरखाव सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। और समय-समय पर इस बैटरी की चार्जिंग और तरलता की जांच भी होती रहनी चाहिए। ट्यूबलर बैटरी के रिपेयर में अधिक ज्ञान और कौशल की आवश्यकता होती है। कई बार इसकी रिपेयर के लिए बैटरी को खोला जाना पड़ता है।

10 – उपयोग

इस बैटरी का इस्तेमाल वहां पर किया जाता है जहां पर कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है, साथ ही बैटरी को इस्तेमाल करने के लिए कम जगह भी होती है। जैसे की मोबाइल की बैटरी, घड़ी में, लैपटॉप में, पावर बैंक में।

ट्यूबलर बैटरी का इस्तेमाल सोलर पैनल और इनवर्टर में अधिकांश देखने को मिलता है। यहां पर भी या फिर जिस भी उपकरण में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है वहां पर ट्यूबलर बैटरी का इस्तेमाल होता है।

निष्कर्ष

हमने आज के इस ब्लॉग में Lithium-Ion और Tubular Battery मे अंतर को हिंदी भाषा में समझा, हमने जाना की Lithium Ion Battery और tubular battery kya hota hai, इन दोनों बैटरी के बनाने का स्ट्रक्चर क्या है और साथ ही इनका इस्तेमाल हम कहां-कहां पर करते हैं इसको भी समझा।

अंत में दोस्तों इस ब्लॉग को समाप्त करते हुए मैं चाहूंगा की आपको हमारे इस ब्लॉग को पढ़कर कैसा लगा, कृपयाआप इसका फीडबैक जरूर दें, साथी अगर कोई सवाल है तो कमेंट जरुर करें।

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